(शिरीष एक औषधीय पौधा)-Medicinal Properties and Uses of Shirish Plant(Albizia lebbeck)

अवलोकन
इस औषधीय पौधे के बारे में शायद ही किसी को पता हो परन्तु अनेक गुणों से भरपूर होता है शिरीष का पौधा ।प्राचीन काल से ही इस पौधे से प्राप्त छाल ,फल ,फूल ,जड़ और पत्तों का इस्तेमाल आयुर्वेदिक औषधि बनाने के लिए किया जाता रहा है ।आयुर्वेद चिकित्सा में इस पौधे को वात पित्त और कफ दोष को संतुलित रखने वाला बताया गया है
शिरीष का परिचय :
इस औषधीय पौधे की ऊंचाई १५ से २० मीटर तक हो सकती है । शिरीष का पेड़ एक घनी छाया देने वाला वृक्ष है।पतझड़ ऋतु के आते ही यह पेड़ बिल्कुल सूखा हो जाता है ।इस पौधे से प्राप्त फल ,फूल ,पत्ते ,छाल और जड़ के द्वारा अनेक आयुर्वेदिक औषधियाँ बनाई जाती है ।आयुर्वेद के अनुसार इस पौधे की तीन प्रजातियां पाई जाती हैं :–१ लाल फूल वाला शिरीष , २ काले फूल वाला शिरीष , ३ सफेद फूल वाला शिरीष ।
शिरीष का फूल बहुत तेजी से विकसित होता है और इस में फूल ,फल भी कम समय के अंदर लगने लगते हैं ।इस लेख में हम शिरीष के औषधीय गुणों के बारे में जानेगें
व्याख्या
इस श्लोक में कहा गया है कि शिरीष मधुर ,तिक्त तथा कषाय रस से युक्त ,किञ्चित उष्ण ,लघु एवं वातादि दोष ,शोथ ,विसर्प ,कास ,व्रण तथा विष को दूर करने वाला होता हैं
संदर्भ– भावप्रकाश निघण्टु ,(वटादिवर्ग),श्लोक -१४ ।
आइये जानते हैं शिरीष के औषधीय गुणों के बारे में :
आँखों के लिए लाभकारी :
अगर आपको आँखों से संबंधित कोई भी बीमारी हैं तो इसके लिए आपको शिरीष के पत्तों का इस्तेमाल करना फायदेमंद साबित होता हैं ।इसके उपयोग के लिए शिरीष के पत्तों से रस निकालकर, उसकी 2 बूंद आँखों में डालने से आपकी आंखें स्वस्थ और बिमारियों से मुक्त बनी रहती हैं ।इसके अलावा अगर शिरीष के पत्तों से काढ़ा तैयार करके उससे सुबह उठते ही आँखों को धोया जाए तो यह प्रयोग आँखों की बीमारी जैसे कि रतौंधी को दूर करने के साथ साथ आँखों की रौशनी बढ़ाने में भी सहायक साबित होता हैं ।
कान के दर्द को दूर करने में सहायक :
आयुर्वेद चिकित्सा के अनुसार बहुत ज्यादा ज्वर और खांसी की वजह से कान में वेदना होने लगती हैं इस समस्या को दूर करने के लिए आपको शिरीष की छाल के अर्क इस्तेमाल करना फायदेमंद साबित हो सकता हैं ।इसके इस्तेमाल के लिए शिरीष की छाल से अर्क तैयार करके उसकी १ से २ बूंदों को नियमित रूप से कान में डालने पर यह प्रयोग आपके कान से संबंधित रोगो को दूर करने के साथ साथ कम सुनने की समस्या को दूर करने में भी सहायक साबित होता हैं ।
साँस रोगों में लाभकारी :
अगर किसी व्यक्ति को साँस से संबन्धित कोई समस्या है तो उसको शिरीष का उपयोग करना लाभकारी साबित होता है आयुर्वेदिक चिकित्सा के अनुसार साँस के रोग शरीर में कफ और पित्त दोष के असंतुलन की वजह से होते हैं ।साँस के रोगों में आपको शिरीष के फूल से ५ से ६ मिलीलीटर रस निकालकर उसके अंदर पिप्पली छाल का चूर्ण ५०० से ६०० मिलीग्राम और १ चम्मच शहद की मिश्रण करके सुबह खाली पेट सेवन करने से साँस संबन्धित रोगों से बचा जा सकता है ।
पेट की बिमारियों में लाभकारी :
आयुर्वेदिक चिकित्सा के अनुसार अगर किसी व्यक्ति को पेट से संबन्धित समस्याएं जैसे पेट दर्द ,गैस और कब्ज आदि है तो उनके लिए शिरीष का सेवन करना लाभदायक होता है ।इसके उपयोग के लिए आपको शिरीष की छाल का काढ़ा आधा गिलास सुबह खाली पेट रोजाना सेवन करना बहुत ज्यादा फायदेमंद होता है ।यह प्रयोग पाचन क्रिया को दुरुस्त रखने के साथ साथ पेट को बिमारियों से मुक्त बनाए रखता है।
बवासीर को दूर करने में मददगार :
गलत खान पान और खराब दिनचर्या की वजह से लोगों का बवासीर से ग्रसित होना सामान्य हो गया है ।आयुर्वेद के अनुसार यह समस्या आपकी पाचन क्रिया खराब होने की वजह से होती है ।पाचन क्रिया खराब होने से आपको कब्ज की समस्या हो जाती है और व्यक्ति बवासीर से ग्रसित हो जाता है । इस समस्या को दूर करने के लिए आपको ६ से ७ ग्राम शिरीष के बीजों को पीसकर उसके अंदर कलिहारी के पौधे की छाल को मिलाकर और इस मिश्रण के अंदर पानी मिला लेना चाहिए और इस लेप को गूदे के ऊपर रोजाना लगाने से बवासीर की समस्या बहुत जल्दी खत्म हो जाती
मूत्राशय सम्बंधित बीमारियों के लिए उपयोगी :
एक शोध के अनुसार अगर किसी व्यक्ति को मूत्राशय से संबन्धित कोई भी बीमारी है तो उसको शिरीष का उपयोग करना लाभकारी होता है । इसके सेवन के लिए उसको १० से १५ शिरीष के पत्तों को २ गिलास पानी में उबाल लेना चाहिए और जब यह पानी आधा गिलास रह जाए तो इस अर्क को सुबह खाली पेट नियमित रूप से सेवन करना चाहिए इससे व्यक्ति पेशाब के समय होने वाली जलन ,दर्द और पेशाब रुक रुक के आने की समस्या से बचा रहता है ।यह प्रयोग मूत्रप्रवाह को बढ़ाने वाला होता है
वीर्य को बढ़ाने में सहायक :
अगर कोई व्यक्ति यौन कमजोरी से परेशान है जिसकी वजह से उसकी निजी ज़िंदगी खराब हो रही है तो उसको नियमित रूप से शिरीष का इस्तेमाल करना फायदेमंद होता है । इसके इस्तेमाल के लिए आपको शिरीष के बीजों से २ से ४ ग्राम चूर्ण तैयार करके इसके अंदर २ बूंद बरगद की छाल से निकलने वाला दूध के समान तरल पदार्थ मिलाकर, इस मिश्रण को रात को सोने से पहले देसी गाय के दूध के साथ सेवन करना चाहिए इससे यौन कमजोरी बहुत जल्दी दूर हो जाती है । यह प्रयोग वीर्य की गुणवत्ता को बहुत तेजी से बढ़ाने में सहायक होता है ।