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Benefits and Ayurvedic Properties of Asafoetida(आयुर्वेदिक गुणों से सम्पन्न हींग)

आयुर्वेदिक गुणों से सम्पन हींग

आयुर्वेद के अनुसार हींग एक चिकना और चिपचिपा पदार्थ होता होता है ।प्राचीन काल से ही हींग का इस्तेमाल अनेक रोगों के रोकथाम के लिए आयुर्वेदिक औषधियाँ बनाने के लिए किया जाता रहा है ।आयुर्वेद चिकित्सा में इसको हिंगु के नाम से भी जाना जाता है ।

हींग का परिचय

अनेक औषधीय गुणों से सम्पन हींग का पौधा भूमध्यसगरीय भागों और एशिया के कुछ देशों में विकसित होता है ।पाचन क्रिया को दुरुस्त रखने के लिए यह रामबाण औषधि मानी जाती है ।औषधीय गुणों से भरपूर यह पौधा भारत देश के पंजाब ,राजस्थान और कश्मीर के कुछ भागों में उगाया जाता है ।भारत देश की हर रसोई के अंदर हींग का इस्तेमाल भोजन के स्वाद को बढ़ाने के लिए एक मसाले के रूप में किया जाता है ।यह प्राकृतिक पौधा ४ से ५ मीटर तक ऊँचा हो सकता है ।हींग के पौधे की जड़ को बहुत ही कीमती माना जाता है। आयुर्वेदिक चिकित्सा के अनुसार हींग के पौधे की जड़ को अच्छे से सूखा कर हींग बनाई जाती है ।अगर हींग का सेवन सही तरिके से किया जाए तो यह शरीर को स्वस्थ रखने के साथ -साथ अनेक गंभीर बिमारियों से बचाए रखने में मददगार साबित होता है ।इस लेख में हम हींग के आयुर्वेदिक गुणों के बारे में जानेगें जो बिमारियों की रोकथाम में सहायक साबित होते हैं ।

Health Benefits of Hing

Benefits and Ayurvedic Properties of Asafoetida

व्याख्या-

इस श्लोक में कहा गया है कि हींग उष्णवीर्य ,पाचक ,रुचिकर ,तीक्ष्ण ,वात दोष को संतुलित रखने वाली ,शूल ,गुल्म ,उदर संबंधित रोग ,अनाह और त्वचा रोगों को नष्ट करने में सहायक साबित होती है

संदर्भ– भावप्रकाश निघण्टु ,(हरितक्यादिवर्ग ),श्लोक -१०१ ।

आइये जानते हैं इसके लाभकारी आयुर्वेदिक गुणों के बारे में :

पेट की समस्याओं में फायदेमंद

आयुर्वेदिक चिकित्सा के अनुसार अगर किसी व्यक्ति को पेट से संबंधित कोई भी बीमारी है जैसे कब्ज ,गैस ,पेट दर्द और अल्सर आदि ।इन सभी में हींग का इस्तेमाल फायदेमंद माना जाता है ।हींग के अंदर बहुत ज्यादा मात्रा में एंटी आक्सीडेंट,एंटी इंफ्लेमेंटरी और एंटी बैक्टीरियल जैसे महत्वपूर्ण गुण पाए जाते हैं जो आपके पेट में हानिकारक बैक्टीरिया ,संक्रमण ,अपच और पेट की बिमारियों को खत्म करने में मददगार साबित होते हैं ।इसके इस्तेमाल के लिए आपको आधा गिलास पानी के अंदर कुछ टुकड़े हींग के डालकर पानी को उबाल लें और जब पानी गुनगुना सा रह जाए और हींग पानी में घुल जाए तो इस पानी का सेवन खाना खाने के १ घंटे बाद सुबह और शाम सेवन करने से आपकी पाचन क्रिया दुरुस्त बनी रहती है और पेट अनेक बिमारियों से सुरक्षित बना रहता है ।

श्वांस नली को रखे स्वस्थ

अगर किसी भी मनुष्य को श्वांस से संबंधित कोई समस्या है तो उसको हींग का सेवन करना लाभदायक होता है ।आयुर्वेद के अनुसार हींग में एंटी इंफ्लेमेटरी ,एंटी बैक्टीरियल गुण आपकी श्वांस नली को हानिकारक संक्रमण से बचाए रखने में मददगार साबित होते हैं । हींग का नियमित सेवन आपको खांसी ,बलगम ,अस्थमा और ब्रोंकाइटिस जैसी बिमारियों से सुरक्षित रखने में सहायक साबित होता है ।इसके उपयोग के लिए आपको हींग का सेवन भोजन के अंदर मसाले के रूप में रोजाना करने से आप श्वांस से संबंधित बिमारियों से बचे रहते हैं ।

Health Benefits and Properties of hing

मासिक चक्र में लाभदायक

स्त्राव और बहुत ज्यादा दर्द को दूर करने में उत्तम औषधि साबित होती है ।इसके उपयोग के लिए महिलाओं को आधा गिलास लस्सी के अंदर २ से ३ ग्राम हींग चूर्ण ,२ ग्राम सैंधा नमक का मिश्रण करके सुबह और शाम खाना खाने के १ घंटे बाद सेवन करने से मासिक चक्र से संबंधित समस्याएं बहुत जल्दी दूर हो जाती है ।आयुर्वेद के अनुसार यह प्रयोग महिलाओं के लिए वरदान साबित होता है ।आयुर्वेदिक चिकित्सा के अनुसार हींग का सेवन महिलाओं के लिए रामबाण औषधि माना जाता है ।महिलाओं को मसिकल चक्र के दौरान होने वाली समस्याएं जैसे मासिक चक्र की अनियमितता ,अत्यधिक रक्त

दांत दर्द को दूर करने में सहायक :

हींग को दांत का दर्द दूर करने की महत्वपूर्ण औषधि माना जाता है ।इसके अंदर एंटी ऑक्सीडेंट ,एंटी बैक्टीरियल और एंटी इंफ्लेमेंटरी जैसे लाभदायक गुण पाए जाते हैं जो आपको हानिकारक संक्रमण से बचाए रखने में मददगार साबित होते हैं ।दांत दर्द से परेशान व्यक्ति को एक छोटा सा टुकड़ा हींग का रख लेने से दर्द बहुत जल्दी खत्म हो जाता है ।

कैंसर को दूर करने में मददगार :

आयुर्वेदिक चिकित्सा के अनुसार हींग को अनेक औषधीय गुणों से भरपूर माना जाता है और इसके अंदर एंटी आक्सीडेंट गुण की मात्रा बहुत ज्यादा पाई जाती है । यह आपके शरीर में रक्त को शोधन करने के अलावा उसको संतुलित रखने में सहायक साबित होती है ।हींग का नियमित सेवन शरीर के अंदर कैंसर की कोशिकाओं को बहुत जल्दी नष्ट कर देता है ।इसके इस्तेमाल के लिए आपको रोजाना आधा जिसे पानी के अंदर कुछ टुकड़े हींग के डालकर पानी को उबाल लेना चाहिए और पानी के गुनगुना होने पर उसका सेवन करना लाभकारी माना गया है ।

नपुंसकता को दूर करने में सहायक :

आयुर्वेद के अनुसार अगर कोई व्यक्ति यौन कमजोरी के कारण नपुंसकता से ग्रसित हो गया है तो उसको हींग का उपयोग करना फायदेमंद हो सकता है ।इसके उपयोग के लिए आपको ५ से ६ ग्राम हींग को देसी गाय के घी में फ्राई कर लेना चाहिए अब इसके अंदर बरगद से प्राप्त होने वाले दूध के समान तरल पदार्थ की २ से ३ बूंदों का मिश्रण करके रात को सोने से पहले देसी गाय के दूध के साथ सेवन करने से नपुंसकता की समस्या बहुत जल्दी दूर हो जाती है ।आर्वेदिक चिकित्सायु के अनुसार यह प्रयोग नपुंसकता को बहुत जल्दी खत्म करने और यौन शक्ति को तेजी से बढ़ाने में बहुत ज्यादा मददगार साबित होता है ।

शुगर को रखे संतुलित:

आज कल की खराब दिनचर्या और गलत खान पान की वजह से शुगर की बीमारी आज सामान्य सी हो गयी है ।शुगर से पीड़ित व्यक्ति को हींग का सेवन करना फायदेमंद माना जाता है ।यह आपके शरीर में रक्त के अंदर इन्सुलिन की मात्रा को कम कर शुगर को संतुलित रखने में मददगार साबित होती है ।इसके सेवन के लिए आपको हींग का इस्तेमाल भोजन के अंदर मसाले के रूप में नियमित रूप से करना चाहिए, इस से आप शुगर की बीमारी से सुरक्षित रहते हैं ।यह प्रयोग शरीर में शुगर को सामान्य बनाए रखता है ।

Importance of Bamboo Plant You Must Know(बांस एक महत्वपूर्ण पौधा)

बांस एक महत्वपूर्ण पौधा

बांस का पौधा भारत देश के हर क्षेत्र में पाया जाता है ।इस पौधे कि लम्बाई २० से ३० मीटर तक हो सकती है ।बांस के पत्तों का आकार भी लम्बा होता है ।प्राचीन काल से ही बांस का पौधा आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह अनेक औषधीय गुणों से भरपूर होता है परन्तु आज इसके गुणों के बारे में कोई नहीं जानता । यह पौधा आपके लिए स्वास्थ्यवर्धक साबित होता है।

Importance of bamboo plant At Home

आयुर्वेद के अनुसार

आयुर्वेद के अनुसार बांस का पौधा ग्रीष्म ऋतू में फल और फूलों से खिल उठता है ।बांस के पौधे में फूल पूरे जीवन काल में एक बार ही आते हैं परन्तु बांसों की कुछ प्रजातियां हैं जिनमे फूल ३ से ४ साल के अंदर आते हैं ।बांस की तासीर ठंडी होती है और यह स्वाद में मीठा ,तीखा और कड़वा होता है ।यह आपके शरीर में कफ और पित्त दोष को संतुलित रखने वाला होता है ।आयुर्वेद चिकित्सा के अनुसार बांस के पौधे की कोंपलों के अंदर पर्याप्त मात्रा में विटामिन ,प्रोटीन ,कैल्शियम ,मैग्नीशियम ,फास्फोरस ,जिंक जैसे आवश्यक खनिज पदार्थों के साथ साथ अनेक पोषक तत्व भी पाए जाते हैं जो आपके शरीर को अनेक बिमारियों से दूर रखते हैं और शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाने में भी लाभकारी साबित होते हैं ।इस लेख में हम बांस के लाभदायक गुणों के बारे जानेगें ।

व्याख्या

इस श्लोक में कहा गया है कि बांस के चावल सारक,रुक्ष ,कषाय रस से युक्त ,पाक में कटु रस युक्त ,वात और पित्त को संतुलित रखने वाले,उष्णवीर्य ,मूत्राशय रोगों को दूर करने वाले तथा कफ दोष को संतुलित रखने वाले होते हैं ।

Importance of bamboo plant

संदर्भ- भावप्रकाश निघण्टु ,(गुडुच्यादिवर्ग ),श्लोक -१५६ ।

Health Benefits of Bamboo Plant

बांस के औषधीय गुण आइये जानते हैं :-

सिरदर्द के लिए लाभकारी

आज कल की भागदौड़ भरी ज़िंदगी और अत्यधिक कार्य की वजह से बार बार सिरदर्द होना सामान्य बात है परन्तु आयुर्वेद के अनुसार इस समस्या को बांस के इस्तेमाल से दूर किया जा सकता है इसके लिए आपको बांस की जड़ से २ चम्मच रस निकालकर इसके अंदर १ से २ गिरी अखरोट डालकर इस मिश्रण को अच्छे से पीसकर गुनगुने पानी के साथ सेवन करने से सिरदर्द की समस्या बहुत जल्दी दूर हो जाती है ।

कान के दर्द को दूर करने में सहायक

एक शोध के अनुसार ऐसा देखा गया है कि खांसी और जुकाम की वजह से अनेक बार कान में दर्द होने लगता है इस दर्द को दूर करने के लिए आपको बांस का इस्तेमाल करना फायदेमंद साबित होता है ।इसके इस्तेमाल के लिए बांस की जड़ों से रस निकालकर उसके अंदर बराबर मात्रा में अदरक का रस और दही का मिश्रण कर लें अब इस मिश्रण की २ बूंदे कान के अंदर डालने से आपको वेदना में बहुत जल्दी आराम पहुँचता है

फेफड़ों के लिए फायदेमंद

आयुर्वेद चिकित्सा के अनुसार फेफड़ों को बिमारियों से मुक्त रखने के लिए आपको बांस का सेवन करना लाभकारी औषधि साबित होता है । बांस का उपयोग फेफड़ों के अंदर आई सूजन और उसके हानिकारक संक्रमण को रोकने में मदद करता है ।इसके उपयोग के लिए आपको बांस की पत्तियों का अर्क तैयार करके उससे सुबह और शाम गरारे करने चाहिए, इस से आपके फेफड़े बिमारियों से सुरक्षित रहते हैं ।इस प्रयोग का नियमित इस्तेमाल खांसी ,जुकाम और गले के रोगों में भी फायदेमंद होता है ।

बवासीर को खत्म करे

आज के समाज में खराब दिनचर्या और गलत खान पान जैसे फ़ास्ट फ़ूड और तला हुआ भोजन आदि इन सभी की वजह से आपकी पाचन शक्ति खराब हो जाती है जो आपके शरीर में बवासीर जैसी बिमारियों को उत्पन कर देती है। इस बीमारी को दूर करने के लिए बांस की जड़ का काढ़ा तैयार करके उसके साथ गूदे को साफ करने से बवासीर की बीमारी बहुत जल्दी खत्म हो जाती है ।आयुर्वेद के अनुसार यह प्रयोग बवासीर की असहनीय बीमारी को दूर करने की अच्छी औषधि साबित होता है ।

शुगर करे संतुलित

आधुनिक चिकित्सा के अनुसार लोगों के गलत खान पान और अत्यधिक मानसिक तनाव की वजह से शरीर के अंदर शुगर की मात्रा बढ़ जाती है जो आगे चल कर आपके लिए हानिकारक साबित हो सकती है। इस समस्या को दूर करने और शरीर को शुगर को संतुलित रखने के लिए बांस का इस्तेमाल करना उपयोगी साबित होता है ।इसके इस्तेमाल के लिए आपको बांस की पत्तियों के काढ़े का नियमित रूप से सेवन करना आपके शरीर में इन्सुलिन की मात्रा को कम कर शुगर को संतुलित रखने में सहायक साबित होता है।

मूत्राशय के लिए रामबाण औषधि:

अगर आपको मूत्राशय से संबंधित कोई भी समस्या है जैसे ,पेशाब का रुक रुक के आना ,पेशाब करते समय जलन होना ,मूत्राशय में दर्द होना आदि, इन सभी परेशानियों में आपको बांस का सेवन करना बहुत ज्यादा फायदेमंद साबित होता है ।इसके लिए बांस की जड़ से काढ़ा तैयार करके सुबह खाली पेट प्रयोग करने से आपकी मूत्राशय से संबंधित हर समस्या खत्म हो जाती है ।इस प्रयोग का नियमित सेवन मूत्र प्रवाह को बढ़ाने वाला होता है जिससे आपके शरीर से हानिकारक बैक्टीरिया बहार निकल जाता है।

मासिक चक्र में लाभकारी

एक शोध के अनुसार महिलाओं को मासिक चक्र से सम्बंधित अनेक बीमारियां ग्रसित कर देती हैं जैसे कि अत्यधिक रक्तस्त्राव ,असहनीय दर्द ,मासिक चक्र की अनियमितता आदि इन सभी परेशानियों को दूर करने के लिए आपको बांस का उपयोग करना फायदेमंद साबित होता है ।इसके उपयोग के लिए आपको बांस के पत्तों से काढ़ा तैयार करके उसको सुबह खाली पेट सेवन करना मासिक चक्र से संबंधित हर समस्या को दूर करने के साथ साथ पाचन क्रिया को दुरुस्त बनाए रखने में सहायक होता है

अल्सर रोग को खत्म करने में सहायक

अगर आप अल्सर की बीमारी से ग्रसित है तो आपको बांस का काढ़ा का उपयोग करना लाभकारी साबित होता है । इसके लिए बांस की जड़ से काढ़ा तैयार करके उसके साथ अल्सर के घाव को साफ करने से घाव जल्दी भरने लगता लगता है ।इस प्रयोग का नियमित इस्तेमाल सूजन को खत्म करने के साथ साथ शरीर को त्वचा रोगों से बचाए रखने में सहायक होता है ।